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फ़ारसी कलाम
ऐ कि शर्ह-ए-वज़्ज़ुहा आमद जमाल-ए-रू-ए-तूनुक्तः-ए-वल्लैल वस्फ़-ए-ज़ुल्फ़-ए-अ’म्बर बू-ए-तू
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
फ़ारसी कलाम
ऐ ख़ुसरव-ए-ज़मान: ब-कुशादः चश्म ब-निगरदर नामः-ए-सिकन्दर अहवाल-ए-मुल्क-ए-दारा
ज़ैबुन्निसा बेगम
फ़ारसी कलाम
ज़ादः-ए-दुरदेम वज़ ख़ून-ए-जिगर परवर्दः-एमकोह-हा-ए-ग़म अगर आयद जू-ए-आज़ार नीस्त
ज़ैबुन्निसा बेगम
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शे'र
आह ख़ुश बाशद कि बीनम बार-ए-दीगर रू-ए-दोस्तदर सुजूद आयम ब-मेहराब-ए-ख़म-ए-अबरू-ए-दोस्त
ज़ैबुन्निसा बेगम
फ़ारसी कलाम
आह ख़ुश बाशद कि बीनम बार-ए-दीगर रू-ए-दोस्तदर सुजूद आयम ब-मेहराब-ए-ख़म-ए-अबरू-ए-दोस्त
ज़ैबुन्निसा बेगम
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
बशो ईं नक़्श-ए-दिल-तंगी कि दर बाज़ार-ए-यक-रंगीमुरक़्क़हा-ए-गूनागूँ मय-ए-अहमर नमी-अर्ज़द
हाफ़िज़
सूफ़ी कहावत
दर इन-ए दुनिया किसी बे ग़म न बाशद, अगर बाशद बनी आदम न बाशद
इस दुनिया में कोई ऐसा नहीं है जिसके पास कोई दुःख न हो, अगर कोई है; वह मनुष्य नहीं है।
वाचिक परंपरा
सलाम
अज़ल के नग़्मः-ए-रंगीं के सोज़-ओ-साज़ हो तुमरुमूज़-ए-मा'रिफ़त-ए-हक़ की शरह-ए-राज़ हो तुम
बेख़ुद वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़त्म-ए-रुसुल मुख़्तार-ए-कुल नबियों का तू सुल्तान हैसूरत तिरी हुस्न-ए-अज़ल तुझ पे जहाँ क़ुर्बान है